नाइजीरिया एक ऐसा देश हैं जहां महिलाओं के लिए गर्भवती होना खुशी की बात नहीं बल्कि बुरे सपने की तरह है। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। हालात इस वजह से और भी बिगड़ गए हैं क्योंकि अमेरिका ने मदद से हाथ पीछे खींच लिए हैं।

कोन्डुगा: दुनिया भर में जहां अधिकतर महिलाओं के लिए गर्भवती होना किसी खूबसूरत सपने के साकार होने जैसा होता है वहीं नाइजीरिया में हालात कुछ अलग ही हैं। यहां संघर्ष प्रभावित उत्तरी क्षेत्र में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। स्वास्थ्य सुविधाएं ना होने की वजह से गर्भावस्था महिलाओं के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। कई बार तो हालात ऐसे बन जाते हैं कि गर्भवती महिलाओं और अजन्मे शिशु दोनों की ही मौत हो जाती है।
आयशा मोहम्मद के साथ क्या हुआ?
आयशा मोहम्मद नाम की महिला जब अपनी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में थी तब उसे दौरे पड़ने लगे और उच्च रक्तचाप (एक्लेम्पसिया) की समस्या हो गई। यह गर्भवती महिलाओं की मौत का एक प्रमुख कारण है। उसके गांव के एकमात्र स्वास्थ्य क्लिनिक में कोई चिकित्सक नहीं था और एकमात्र चिकित्सा केंद्र उसके गांव से 40 किलोमीटर दूर था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के किसी भी अन्य स्थान की तुलना में नाइजीरिया में प्रसव के दौरान सबसे अधिक महिलाओं की मौत होती है। हालांकि, आयशा तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद किसी तरह मैदुगुरी शहर पहुंच गई और अप्रैल में अगले ही दिन उसने ऑपरेशन के जरिए जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। आयशा ने अपने आंसुओं को बहने से किसी तरह रोकते हुए कहा, ‘‘हालांकि बच्चे खुशियां लाते हैं लेकिन अब मुझे यह सोचकर गर्भवती होने से डर लगता है कि मुझे फिर उसी कष्ट से गुजरना पड़ेगा।’’
दहला देने वाली है फल्माता मोहम्मद की दास्तान
फल्माता मोहम्मद नाम की एक अन्य महिला की भी कहानी ऐसी ही है। उसे 2021 में अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। उसके गांव बुलाबिलिन नगौरा में कोई अस्पताल ना होने के कारण वह और उनके पति 57 किलोमीटर दूर मैदुगुरी के लिए निकले लेकिन रास्ते में ही उसे रक्तस्राव हो गया और उसने मृत बच्चे को जन्म दिया। उसने कहा कि वह उस मानसिक पीड़ा को कभी नहीं भूल सकती।
अमेरिका ने रोकी मदद
नाइजीरिया के उत्तर-पूर्वी हिस्से में गर्भवती महिलाओं के लिए हालात पहले से कहीं अधिक मुश्किल हो गए हैं। बोको हराम आतंकी समूह फिर से उभर रहा है और कभी नाइजीरिया को करोड़ों डॉलर की विदेशी सहायता देने वाले अमेरिका ने भी डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से आर्थिक मदद देना बंद कर दिया है। लड़ाई के कारण सड़कें बंद हैं। कई चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्यकर्मी एवं सहायता संगठन पलायन कर गए हैं। अमेरिका से धन नहीं मिलने की भरपाई के लिए नाइजीरिया ने अपने स्वास्थ्य बजट के लिए 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आपातकालीन राशि जारी की है।
कैसे हैं हालात?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2023 में भी दुनिया की कुल मातृ मृत्यु दर की एक चौथाई से अधिक मौत (75,000) नाइजीरिया में होती थीं। अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले इस देश में प्रत्येक 100 में से कम से कम एक महिला की मौत बच्चे को जन्म देते समय हो जाती है। आने वाले समय में भी यहां बेहतर हालात की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
बेहद कठिन हैं हालात
लागोस स्थित ‘अलाबियामो मैटरनल एंड चाइल्ड वेलबीइंग फाउंडेशन’ की सह-संस्थापक जुमोके ओलाटुनजी ने कहा, ‘‘आप आप गिनती करें तो आपको लगेगा कि हर पांच में से एक महिला या तो मातृ रुग्णता से जूझ रही है या उसकी मौत हो गई।’’ मातृ रुग्णता से तात्पर्य प्रसव के बाद जीवित रहने वाली माताओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कहना है कि हिंसा की घटनाओं के कारण अस्पतालों में चिकित्सकों और अन्य लोगों की भर्ती करना कठिन होता जा रहा है। (एपी)