अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस का नाम बदलकर “डिपार्टमेंट ऑफ वॉर” मंत्रालय कर दिया है। ट्रंप का कहना है कि यह अमेरिका की शक्ति और विजय का प्रतीक बनेगा।

वाशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़े कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया है। ट्रंप ने अब अमेरिका में एक नया मंत्रालय बना दिया है। इसका नाम “डिपार्टमेंट ऑफ वॉर” यानि युद्ध मंत्रालय रखा है। हालांकि यह मंत्रालय रक्षा मंत्रालय (Department of Defense) का नाम बदलकर बनाया गया है। ट्रंप के अनुसार यह नाम अमेरिका की “शक्ति और विजय” का प्रतीक होगा और दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देगा कि अमेरिका एक “सख्त ताकत” है।
ट्रंप ने कहा-ताकत का संदेश देता है “डिपार्टमेंट ऑफ वॉर”
ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक विजय का संदेश देता है, एक ताकत का संदेश।” उन्होंने “defense” शब्द को “woke” करार दिया और कहा कि यह नाम अब बदलने का वक्त है। क्योंकि “डिपार्टमेंट ऑफ वॉर” अमेरिका की शक्ति को दर्शाने वाला नाम है।
अमेरिकी कांग्रेस की अनुमति ज़रूरी
हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस को इस नाम परिवर्तन को विधिक रूप से मान्यता देनी होगी। इस दिशा में ट्रंप समर्थक प्रतिनिधि ग्रेग स्ट्यूब (फ्लोरिडा) और सीनेट में रिक स्कॉट (फ्लोरिडा) और माइक ली (उटाह) ने विधेयक पेश किया है। स्ट्यूब ने कहा, “1789 से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक अमेरिका ने ‘Department of War’ के नाम के तहत युद्ध लड़े। यह उचित होगा कि हम उनकी ‘असाधारण प्रतिबद्धता’ को सम्मान दें और इस नाम को बहाल करें।”
पहले से बदले गए प्रतीक
ट्रंप के इस आदेश के साथ ही पेंटागन की वेबसाइट का पता “defense.gov” से बदलकर “war.gov” कर दिया गया है। नई स्टेशनरी तैयार की जा रही है और ऑफिस साइनबोर्ड भी बदले गए हैं। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ को अब राष्ट्रपति ट्रंप “Secretary of War” कहने लगे हैं। हेगसेथ ने कहा, “अब हम केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपनाएंगे। हम अधिकतम घातकता के साथ काम करेंगे, जो राजनीतिक रूप से सही नहीं होगा।”
ट्रंप का सैन्य दृष्टिकोण
ट्रंप प्रशासन के दौरान सैन्य नीति में कई बदलाव हुए हैं, जिनमें, LGBTQ+ सैनिकों पर प्रतिबंध, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के योगदान से संबंधित पोस्ट हटाना, कन्फेडरेट जनरलों के नाम वाले सैन्य अड्डों का फिर से नामकरण करना आदि। इस बदलाव के बाद ट्रंप ने दावा किया कि उनका सख्त रुख शांति बनाए रखने का जरिया है। उन्होंने कहा, “मुझे शांति मिली, क्योंकि हम मज़बूत थे।” उन्होंने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान, रवांडा-कांगो और आर्मीनिया-अज़रबैजान के बीच सुलह का श्रेय भी खुद को दिया और यह भी जोड़ा कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द खत्म करना चाहते थे।
कई रिपब्लिकन सांसद ही नाराज
ट्रंप ने कहा, “हम इसे वैसे ही कर देंगे, जैसा पहले था। मुझे यकीन है कि कांग्रेस मान जाएगी।” बता दें कि कानूनी बदलाव के लिए कांग्रेस की अनुमति आवश्यक है। कांग्रेस में कई रिपब्लिकन सांसद ही ट्रंप के इस कदम से नाराज़ हैं। डॉन बेकन (नेब्रास्का) ने कहा, “यह प्रशासन कांग्रेस की आंखों में उंगली डाल रहा है।” वहीं कुछ लोगों द्वारा ट्रंप इस फैसले को उनकी सैन्य नीतियों को फिर से “असाधारण, मर्दाना और आक्रामक” बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। जिसमें “रक्षात्मक” नहीं, बल्कि “हमलावर” मानसिकता को प्राथमिकता दी जा रही है। (एपी/PTI)