Pitru Paksha Mantra : पितृ पक्ष में इन मंत्रों का जरूर करें जाप, पूर्वजों का मिलेगा आशीर्वाद

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Pitru Paksha Mantra : कहते हैं पितृ पक्ष में इन मंत्रों का जाप करने से पितरों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यहां देखें पितृ पक्ष के शक्तिशाली मंत्र।

Pitru Paksha Mantra Pdf: पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृ पक्ष में कुछ खास मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं इन मंत्रों के जाप से पितृ तो प्रसन्न होते ही हैं साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। चलिए जानते हैं पितृ पूजा मंत्रों के बारे में विस्तार से यहां।

पितृ पक्ष मंत्र (Pitru Paksha Mantra)

  • पितृ तर्पण मंत्र – ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः। 
  • पितृ शांति मंत्र – ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ 
  • श्राद्ध मंत्र – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
  • पितृ दोष निवारण मंत्र – ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः 
  • गायत्री पितृ दोष निवारण मंत्र – मंत्र:  ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः

पितृ स्तोत्र (Pitru Stuti Stotra)

  • अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
  • नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
  • इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
  • सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
  • मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
  • तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
  • नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
  • द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
  • देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
  • अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
  • प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
  • योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
  • नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
  • स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
  • सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
  • नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
  • अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
  • अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
  • ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
  • जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
  • तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
  • नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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