Karwa Chauth Vrat In Period 2025: करवा चौथ का व्रत पीरियड्स में कर सकते हैं? अगर हां, तो कैसे करें

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Karwa Chauth Ka Vrat Period Mein kaise kare: कहते हैं करवा चौथ व्रत अगर एक बार शुरू कर दिया जाए तो इसे बीच में छोड़ना नहीं चाहिए। लेकिन अगर व्रत से पहले या व्रत वाले दिन ही पीरियड आ जाए तो ऐसे में क्या करना चाहिए। चलिए इस बारे में आपको यहां विस्तार से बताते हैं।

Karwa Chauth Ka Vrat Period Mein kaise kare: करवा चौथ का व्रत इस साल 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा। इस व्रत में बड़े ही कठोर नियमों का पालन किया जाता है। जैसे व्रत के दौरान अन्न और जल का त्याग कर दिया जाता है। व्रती महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक बिना जल पिए रहती हैं। फिर रात में चांद को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। लेकिन अगर करवा चौथ से पहले या बाद में पीरियड आ जाएं तो ऐसे में क्या करना चाहिए ये सवाल हर महिला के मन में रहता है। चलिए आपको बताते हैं करवा चौथ का व्रत पीरियड में कैसे रखते हैं।

करवा चौथ का व्रत पीरियड में रख सकते हैं? (can we keep karva Chauth fast during periods)

करवा चौथ का व्रत पीरियड में भी रखा जा सकता है। बस यहां इस बात का ध्यान रखना है कि पूजा में आपको शामिल नहीं होना है। आप ऐसे में खुद पूजा न करके किसी अन्य से ये पूजा करा सकती हैं। आपकी जगह पर आपके पति भी ये पूजा कर सकते हैं।

पीरियड में करवा चौथ व्रत कैसे करें (Karwa Chauth Vrat Period Mein Kaise Kare)

महिलाएं पीरियड में भी वैसे ही करवा चौथ का व्रत रखें जैसे कि वे पहले से रखती आ रही हैं। लेकिन पूजा के लेकर कुछ खास नियम का पावन अवश्य करें। चलिए जानते हैं क्या हैं ये नियम…

  • पीरियड में भी सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रहें। 
  • लेकिन पूजा खुद से नहीं करनी है और न ही पूजा की किसी सामग्री को छूना है।
  • आप घर की किसी अन्य महिला से करवा चौथ की पूजा करा सकती हैं।
  • आप पूजा स्थल से थोड़ी दूरी पर बैठकर करवा चौथ की पूजा में शामिल हो सकती हैं और इसकी व्रत कथा जरूर सुनें।
  • अगर घर पर कोई अन्य महिला नहीं है तो आप अपने पति से भी करवा चौथ की पूजा करा सकती हैं।
  • हालांकि आप इस दिन चांद की पूजा कर सकती हैं।
  • चांद निकलने पर चांद को अर्घ्य देकर अपना व्रत पारण कर सकती हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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