बिहार SIR विवाद: विपक्ष को बड़ा झटका, आपत्तियां और दावे दर्ज करने समयसीमा में बढ़ोतरी से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया

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बिहार में SIR को लेकर लगातार विवाद जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए SIR अभियान के तहत आपत्तियां और दावे दर्ज करने समयसीमा में बढ़ोतरी से इनकार कर दिया है।

बिहार में वोटर लिस्ट के रिवीजन यानी SIR पर लगातार विवाद जारी है। विपक्षी दल लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने SIR से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने SIR अभियान में आपत्तियां और दावे दर्ज करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा तय की गई अंतिम तिथि (1 सितंबर) को नहीं बढ़ाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने समयसीमा में बढ़ोतरी से इंकार करते हुए राजनीतिक दलों को अपने प्रतिनिधियों को एक्टिव सहयोग करने के लिए कहा है। चुनाव आयोग ने कहा है कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन दाखिल कर सकते हैं। जो भी नाम शामिल होंगे, उन्हें मतदाता सूची में शामिल कर लिया जाएगा। अगर तारीख आगे बढ़ाई गई, तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

चुनाव आयोग की दलील दर्ज

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में आयोग की इस दलील को दर्ज किया कि चुनाव आयोग द्वारा यह बताया गया है कि दावे-आपत्तियां 1 सितंबर की अंतिम तिथि के बाद भी प्रस्तुत की जा सकती हैं और नामावलियों के अंतिम रूप देने के बाद उन पर विचार किया जाएगा। दावों पर विचार की प्रक्रिया नामांकन की अंतिम तिथि तक जारी रहेगी। दावे-आपत्तियां दाखिल करने का काम जारी रखा जाए। इस बीच राजनीतिक दल प्रस्तुत नोट पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कर सकते हैं।

चुनाव आयोग ने दी अहम जानकारी

बिहार SIR मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि बिहार में मसौदा मतदाता सूची में शामिल 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने अब तक पात्रता दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जिन मतदाताओं के दस्तावेज अधूरे हैं, उन्हें 7 दिनों के भीतर नोटिस जारी करना जारी है। चुनाव आयोग ने आगे कहा कि दावे और आपत्तियां दाखिल करने की 1 सितंबर की समय सीमा में कोई भी विस्तार एसआईआर प्रक्रिया और मतदाता सूची को अंतिम रूप देने में बाधा उत्पन्न करेगा।

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