‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ 19 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। रविंद्र गौतम ने फिल्म में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संन्यासी से मुख्यमंत्री बनने तक के सफर को दिखाया गया है। आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म।

बॉलीवुड के फिल्ममेकर रविंद्र गौतम जो ‘महारानी सीजन 2’ और ‘इक्कीस तोपों की सलामी’ के लिए जाने जाते हैं। अब वह एक ऐसी बायोपिक लेकर आए हैं जो दिखावे के बजाय सच्चाई पर जोर देती है। ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ में अनंत जोशी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का किरदार निभा रहे हैं। यह फिल्म 19 सितंबर सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। इस फिल्म में योगी आदित्यनाथ की यात्रा को दिखाया गया है जो 22 साल की उम्र में संन्यासी बनने से लेकर 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बने। रविंद्र ने इस फिल्म को शांतनु गुप्ता की किताब ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ को इसके लिए प्रेरणास्रोत बताया। ये बायोपिक अजय सिंह बिष्ट की असाधारण जीवन-गाथा है। इस फिल्म में अनंत जोशी ने उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का किरदार निभाया है।
अजेय द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी की कहानी
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वह हिमालय के एक शांत गांव से निकलकर योगी आदित्यनाथ बने जो एक संत, आध्यात्मिक नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शांतनु गुप्ता की बेस्टसेलिंग जीवनी पर आधारित यह फिल्म सिर्फ घटनाओं का वर्णन ही नहीं करती, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की आंतरिक यात्रा को भी दिखाती है, जिसने सांसारिक सुखों के बजाय भक्ति और देश सेवा को चुना। फिल्म की शुरुआत से ही दर्शक हिमालय की शांत प्राकृतिक सुंदरता में खो जाते हैं जो अजेय की यात्रा की आध्यात्मिक जड़ों को दर्शाती है। शुरुआती सीन्स उनके पालन-पोषण और उन मूल्यों को प्रभावी ढंग से पेश करती हैं, जिन्होंने उनके जीवन के प्रति दृष्टिकोण को आकार दिया। ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ का हर सीन दर्शकों को एक ऐसे युवा लड़के से जोड़ते हैं, जिसका भविष्य असाधारण होने वाला था। अजय सिंह बिष्ट का जन्म हिमालय के एक गांव में हुआ था, लेकिन उनके अनुभवों ने उन्हें आध्यात्मिक की ओर खींच लिया और अंत में देश की सेवा के लिए वे राजनीति में कदम रखते हैं। कहानी के अंत में योगी आदित्यनाथ कहते हुए सुनाई दिए कि वह जब तक हैं आतंक साफ करते रहेंगे।
स्टार कास्ट की परफॉर्मेंस
मुख्य भूमिका में अनंत विजय जोशी ने अजय का किरदार बखूबी निभाया है। उन्होंने अजय के युवावस्था और बाद में योगी आदित्यनाथ को एक महान नेता के रोल में बहुत ही अच्छे से स्क्रीन पर पेश किया है। योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ की भूमिका में परेश रावल ने कहानी में गंभीरता और मार्गदर्शन की भावना जोड़ा। अजय पर गहरा प्रभाव डालने वाले आध्यात्मिक गुरु के किरदार को उन्होंने बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है, जिससे कहानी को मजबूती मिली है। इसके अलावा, दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने पत्रकार का किरदार निभाकर फिल्म में जान डाल दी। सभी सहायक कलाकार भी उतने ही सराहनीय हैं।
निर्देशन
रविंद्र गौतम के निर्देशन में बनी ये फिल्म दशकों सीएम योगी के जीवन के हर पहलू से जोड़ी है। कहानी युवा अजय के शुरुआती दिनों से लेकर उनके राजनीतिक और आध्यात्मिक उदय तक सहजता से आगे बढ़ती है, जिसे कोई भी आसानी से समझ सकता है। रविंद्र की खासियत यह है कि उन्होंने निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच संतुलन बनाए रखा है, यह दिखाते हुए कि अजय के आध्यात्मिक विचारों ने कैसे उनके राजनीतिक फैसलों को प्रभावित किया।
सिनेमैटोग्राफी
स्क्रीनप्ले इतने अच्छे से लिखा है कि वास्तविक घटनाओं का एहसास किया जा सकता है, जिससे दर्शकों को गहन राजनीतिक दृश्यों के साथ-साथ जुड़ने का मौका मिलता है। हालांकि, फिल्म में कुछ जगहों पर जहां जरूरत थी, वहां सीन्स को गहराई से नहीं दिखाया गया। लेकिन, बेहतरीन अभिनय ने दिल जीत लिया। वहीं, सिनेमैटोग्राफी कई जगह अपना प्रभाव नहीं दिखा पाई। इसी वजह से आपको कुछ सीन्स बोरिंग भी लग सकते हैं।
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म का विज़ुअल ट्रीटमेंट सराहनीय है। सिनेमैटोग्राफी हिमालय की तलहटी की शांति और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल को बखूबी दिखाती है। ये अलग-अलग सीन्स अजय के जीवन की द्वंद्व को दर्शाते हैं: संन्यासी जीवन की शांत शांति और राजनीति की चुनौतीपूर्ण दुनिया।
बैकग्राउंड स्कोर कहानी को और बेहतर बनाता है, भावनात्मक और आध्यात्मिक पलों को और भी प्रभावशाली बनाता है। पारंपरिक भारतीय वाद्य यंत्रों को आधुनिक संगीत के साथ मिलाकर योगी के जीवन को बड़े पर्दे पर पेश किया है।
क्यों देखनी चाहिए ये फिल्म
‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी’ सिर्फ एक राजनीतिक जीवनी नहीं है, बल्कि यह भक्ति, नेतृत्व और व्यक्तिगत दृढ़ संकल्प की एक खोज है। बेहतरीन अभिनय, सावधानीपूर्वक निर्देशन और आकर्षक कहानी के साथ, यह फिल्म अजय सिंह बिष्ट की उल्लेखनीय यात्रा को दिखाती है। हालांकि, यह मुख्य रूप से राजनीति और आध्यात्मिकता में रुचि रखने वाले दर्शकों को पसंद आएगी। यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है, जिसे 5 में से 3 स्टार मिलना चाहिए।