Ganesh Visarjan 2025 Date And Muhurat: गणेश चतुर्थी पर भी कर सकते हैं गणपति विसर्जन, जान लें शुभ मुहूर्त

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Ganesh Visarjan 2025 Date And Muhurat: गणेश विसर्जन गणेश चतुर्थी के दिन, इसके 1.5 दिन बाद, 3 दिन बाद, 5 दिन बाद, 7 दिन बाद या 10 वें दिन किया जा सकता है। आप अपनी सुविधानुसार गणपति विसर्जन का दिन चुन सकते हैं।

Ganesh Visarjan 2025 Date And Muhurat: गणेश चतुर्थी के दिन घर लाई बप्पा की प्रतिमा का विधि विधान विर्सजन करने का विधान बताया गया है। आप अपनी सुविधानुसार गणेश चतुर्थी के दिन ही या इसके अगले दिन या फिर तीसरे, पांचवे या सातवें दिन भी गणेश विसर्जन कर सकते हैं। वैसे विसर्जन का सबसे प्रचलित दिन अनन्त चतुर्दशी का माना गया है। मंदिरों और पंडालों में स्थापित की गई गणपति बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन ही किया जाता है। चलिए आपको बताते हैं दिन के अनुसार गणपति विसर्जन के शुभ मुहूर्त क्या-क्या रहेंगे।

गणेश चतुर्थी पर गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025 (Today Ganesh Visarjan Muhurat 2025)

  • गणेश चतुर्थी पर गणेश विसर्जन बुधवार, अगस्त 27, 2025 को
  • अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ) – 03:35 PM से 06:48 PM
  • सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 08:12 PM से 12:23 AM, अगस्त 28
  • उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 03:10 AM से 04:33 AM, अगस्त 28

डेढ़ दिन के बाद गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025

  • डेढ़ दिन के बाद गणेश विसर्जन बृहस्पतिवार, अगस्त 28, 2025 को
  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 12:22 पी एम से 03:35 पी एम
  • अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 05:11 पी एम से 06:47 पी एम
  • सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 06:47 पी एम से 09:35 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:22 ए एम से 01:46 ए एम, अगस्त 29
  • उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत) – 03:10 ए एम से 05:58 ए एम, अगस्त 29

तीसरे दिन गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025

  • तीसरे दिन गणेश विसर्जन शुक्रवार, अगस्त 29, 2025 को
  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 05:58 ए एम से 10:46 ए एम
  • अपराह्न मुहूर्त (चर) – 05:10 पी एम से 06:46 पी एम
  • अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 12:22 पी एम से 01:58 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 09:34 पी एम से 10:58 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 12:22 ए एम से 04:34 ए एम, अगस्त 30

पांचवें दिन गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025

  • पांचवें दिन गणेश विसर्जन रविवार, अगस्त 31, 2025 को
  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 07:34 ए एम से 12:21 पी एम
  • अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 01:57 पी एम से 03:32 पी एम
  • सायाह्न मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 06:44 पी एम से 10:57 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 01:46 ए एम से 03:10 ए एम, सितम्बर 01
  • उषाकाल मुहूर्त (शुभ) – 04:35 ए एम से 05:59 ए एम, सितम्बर 01

सातवें दिन गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025

  • सातवें दिन गणेश विसर्जन मंगलवार, सितम्बर 2, 2025 को
  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 09:10 ए एम से 01:56 पी एम
  • अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 03:31 पी एम से 05:06 पी एम
  • सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 08:06 पी एम से 09:31 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 10:56 पी एम से 03:10 ए एम, सितम्बर 03

अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन मुहूर्त 2025

  • अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन शनिवार, सितम्बर 6, 2025 को
  • प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 07:36 ए एम से 09:10 ए एम
  • अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 12:19 पी एम से 05:02 पी एम
  • सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 06:37 पी एम से 08:02 पी एम
  • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 09:28 पी एम से 01:45 ए एम, सितम्बर 07
  • उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 04:36 ए एम से 06:02 ए एम, सितम्बर 07
  • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 06, 2025 को 03:12 ए एम बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त – सितम्बर 07, 2025 को 01:41 ए एम बजे

गणेश विसर्जन की विधि (Ganesh Visarjan Vidhi)

  • गणेश विसर्जन से पहले गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है।
  • उन्हें मोदक और फल का भोग लगाया जाता है।
  • इसके साथ ही गणेश जी की आरती की जाती है।
  • फिर गणेश जी से विदा लेने की प्रार्थना की जाती है।
  • पूजा के बाद पूजा स्थल से गणपति महाराज की प्रतिमा को सम्मान-पूर्वक उठाएं।
  • इसके बाद पटरे पर पर गुलाबी या पीला वस्त्र बिछाएं।
  • प्रतिमा को एक लकड़ी के पटे पर रखें।
  • गणेश जी मूर्ति के साथ फल-फूल, वस्त्र और मोदक की पोटली भी जरूर रखें।
  • एक पोटली में चावल, गेहूं और पंचमेवा समेत कुछ सिक्के भी डाल दें।
  • उस पोटली को गणेश जी की प्रतिमा के साथ रखना है।
  • इसके बाद गणेश जी की मूर्ति को किसी बहते हुए जल में विसर्जन कर दें।
  • गणपति का विसर्जन करने से पहले परिवार सहित एक बार ओर आरती करें।
  • आरती के बाद गणपति बप्पा से अगले बरस फिर आने की प्रार्थना करें।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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