श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

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रायबरेली महराजगंज स्थानीय क्षेत्र के श्री राम जानकी मंदिर पहरेमऊ मठ असर्फाबाद में चंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। पूरे यज्ञ क्षेत्र में वैदिक मंत्रों के उच्चारण और वेद पाठ की पवित्र ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो गया। बताते चलें कि महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि जी महराज की अध्यक्षता में आयोजित शतचंडी महायज्ञ एवं श्री मद देवी भागवत कथा में स्वामी श्री देवेंद्रानंद गिरि जी अपने विशेष प्रवचन में नवग्रहों और नव दुर्गा के गूढ़ संबंधों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि ग्रहों की ऊर्जाएं दैवीय शक्तियों से जुड़ी होती हैं और इनकी समुचित आराधना से जीवन में संतुलन, सुख-समृद्धि एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
गुरुदेव ने बताया कि सहस्त्र चंडी महायज्ञ के माध्यम से भगवती की विभिन्न शक्तियों का आह्वान किया जाता है जिससे साधकों को पितृ दोष, कालसर्प दोष एवं अन्य ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा यह साधना मानसिक शांति, आरोग्यता एवं आध्यात्मिक जागरण का भी मार्ग प्रशस्त करती है। वहीं गुरुवार की रात वृंदावन से पधारी रासलीला में रुक्मिणी विवाह का मंचन किया गया। रुक्मिणी के पत्र पर श्री कृष्ण ने शिव पूजा को गई रुक्मिणी का हरण कर विवाह किया।
इस दौरान भजन-कीर्तन, नृत्य एवं संगीत के मधुर संगम से श्रद्धालु भक्ति में लीन नजर आए। इस दौरान स्वामी चैतन्य गिरि व स्वामी दिव्यानंद गिरी के साथ ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इस अवसर पर क्षेत्र के विजयपाल सिंह, सूर्यभान सिंह, अतुल सिंह, दीपू सिंह, राजेश फौजी, ऋषि सिंह, गुड्डू सिंह, विजय राज सिंह, राजू सिंह, संतोष सिंह, सुरेंद्र सिंह, सोभनाथ सिंह, पुत्तन साहू, हनुमान यादव, सत्यनारायण साहू, सूरजपाल यादव, रामकिशोर आदि ने बताया कि इस दिव्य आयोजन में सम्मिलित होकर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर रहे हैं। धर्म और आस्था का संगम बना श्री राम जानकी मंदिर पहरेमऊ मठ, असर्फाबाद धाम शत चंडी महायज्ञ के माध्यम से भक्तों को आत्मिक शांति, आध्यात्मिक उत्थान एवं दैवीय कृपा की अनुभूति हो रही है। इस पावन अनुष्ठान में भाग लेकर हम सभी श्रद्धालु अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर रहे हैं। इस दिव्य आयोजन की आध्यात्मिक आभा चारों ओर प्रसारित हो रही है जिससे समस्त क्षेत्र भक्तिमय हो गया है।

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