भारत की कूटनीति से चकराई दुनिया, UN में फिलिस्तीन के पक्ष में किया मतदान; इजरायल करता रहा विरोध

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भारत की कूटनीति ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। भारत ने फिलिस्तीन के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र में लाए गए उस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन और मतदान किया, जिसका इजरायल विरोध कर रहा था।

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने अपनी कूटनीति से एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। मौका था फिलिस्तीन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में लाए गए एक प्रस्ताव का। ये प्रस्ताव फिलिस्तीन के पक्ष में लाया गया था। भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया तो दुनिया हैरान रह गई। भारत ने ऐसे वक्त में प्रस्ताव के पक्ष में अपना वोट डाला, जब इजरायल इसी प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में व्यापक विरोध कर रहा था।

भारत की कूटनीति से हर कोई हतप्रभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबरदस्त कूटनीति की चर्चा अब पूरी दुनिया में जोर-शोर से हो रही है। यह दुनिया ये नहीं समझ पा रही है कि जो भारत खुलकर इजरायल का समर्थन करता है, वही देश जब बात फिलिस्तीन और उसके अधिकारों की आती है तो इजरायल के खिलाफ भी जाकर वोटिंग कैसे कर लेता है…और इन सबके बावजूद वह इजरायल और फिलिस्तीन दोनों को कैसे साधे रखता है। आइये अब आपको बताते हैं कि पूरा मामला है क्या…?

क्या था मामला?

मामला फिलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के आगामी उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करने से जुड़ा है। यह प्रस्ताव महमूद अब्बास को इसकी अनुमति देता है। मगर इजरायल इसका भारी विरोध कर रहा है। इससे पहले, अमेरिका ने फिलस्तीनी अधिकारियों को वीजा देने से इनकार कर दिया था, जिससे वे सत्र में व्यक्तिगत रूप से हिस्सा नहीं ले पाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने अपने 80वें सत्र में ‘फिलस्तीन राष्ट्र की भागीदारी’ शीर्षक से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके पक्ष में 145 देशों ने मतदान किया, जबकि पांच ने विरोध में वोट दिया और छह देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

अमेरिका ने दिया इजरायल का साथ

इस प्रस्ताव को लेकर अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। यूएस और इजरायल दोनों ने मिलकर इस प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि भारत इसका समर्थन करने वाले देशों में शामिल था। प्रस्ताव में अमेरिका के फिलस्तीनी प्रतिनिधियों को वीजा देने से इनकार करने और उनके वीजा रद्द करने के निर्णय पर खेद व्यक्त किया गया, जिससे उन्हें संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में भाग लेने से प्रभावी रूप से रोक दिया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र की आम बहस 23 सितंबर को शुरू होगी, जिसमें फिलस्तीनी राष्ट्राध्यक्ष 25 सितंबर को विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे।

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