फिल्मों में आने के बाद एक दिन सब कुछ गंवा देने के बारे में कौन सोचता है। एक ऐसा एक्टर रहा जिसके पास 500 एकड़ जमीन, शानदार बंगला हुआ करता था, लेकिन एक गलती के चलते उसने सब गंवा दिया और जिंदगी पूरी तरह हाशिए पर आ गई।

बाहरी दुनिया में फिल्म इंडस्ट्री एक चमचमाती दुनिया की तरह दिखती है, जहां सफलता और शोहरत एक पल में मिलती है, लेकिन वही चमक कभी-कभी गहरे अंधेरे को भी छुपा लेती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ये शोहरत, पैसा और लग्जरी सब एक पल में धुंआ हो जाते हैं। तमिल सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता सत्यन शिवकुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, एक अभिनेता जो “कुट्टी राजा” के नाम से जाना जाता था, राजसी जीवनशैली जीता था, फिर अचानक आर्थिक पतन के दौर से गुजरा और आखिरकार अपना आलीशान घर तक बेचना पड़ा। सत्यन के साथ ऐसा क्या हुई जो उनकी खुशहाल जिंदगी एक काली रात में बदल गई।
‘कुट्टी राजा’ की शाही जिंदगी
सत्यन शिवकुमार की पहचान तमिल सिनेमा में एक भरोसेमंद सहायक अभिनेता के रूप में बनी, जिन्होंने सबसे पहले विजय की फिल्म नंबन में अपनी भूमिकाओं से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने ‘गजनी’ (सूर्या के साथ), ‘आलवर’, ‘एगन’, ‘थुप्पाक्की’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जहां उनकी ऑन-स्क्रीन प्रतिभा को खूब सराहा गया, वहीं असल जिंदगी में उनका परिवार एक भव्य और आरामदेह जीवन जी रहा था। उनके पिता माधमपट्टी शिवकुमार एक अमीर जमींदार थे। उनके नाम 500 से ज्यादा एकड़ जमीन थी और उनका शानदार बंगला अकेले 5 एकड़ में फैला हुआ था। माधमपट्टी, उनके घर और उनके राजसी दर्जे का प्रतीक था। इसलिए सत्यन को ‘कुट्टी राजा’ कि उपाधि भी मिली, एक सम्मान, जो उनकी व्यक्तिगत शाही विरासत की ओर इशारा करता था।
फिल्मों में लगाया पैसा डूबा
फिल्मों से जुड़ाव की बढ़ती चाह ने सत्यन के पिता को प्रेरित किया। उन्होंने शुरुआती मदद के रूप में अपने रिश्तेदारों और फिल्म जगत के नामचीन अभिनेताओं जैसे सत्यराज और मार्कंडेयन शिवकुमार तक को आर्थिक सहायता दी। लेकिन उन्होंने आगे कदम बढ़ाते हुए खुद फिल्म निर्माण की दिशा में कदम रखा, अपनी पहली फिल्म ‘इलैयावन’ में बेटे सत्यन को लॉन्च किया। दुर्भाग्यवश, ‘इलैयावन’ फ्लॉप रही और यह महंगा अनुभव साबित हुआ। इसमें निवेश की गई बड़ी रकम वापस नहीं मिली और आर्थिक रूप से यह परिवार पर भारी पड़ा। इससे पहले की आपात स्थिति को संभाला जा सके, सत्यन के पिता का निधन हो गया, एक ऐसा सदमा जिसने आर्थिक नुकसान के साथ भावनात्मक धक्का भी दिया।
बेचना पड़ा बंगला
पिता की मृत्यु और फिल्म परियोजना का बुरी तरह असफल होना, दोनों ने मिलकर आर्थिक आधार को हिला दिया। पारिवारिक सपोर्ट सिस्टम टूटने लगा और संपत्ति की राह आसान न रही। अंत में सत्यन को अपने परिवार का आलीशान बंगला, जो उन दिनों में भव्यता का प्रतीक था और 5 एकड़ में फैला हुआ था बेचना पड़ा। इससे न सिर्फ आर्थिक तंगी जग-जाहिर हुई बल्कि उनकी लाइफस्टाइल भी पूरी तरह बदल गई। बताया जाता है कि आज सत्यन के पास कोई प्रॉपर्टी नहीं बची है, वह आर्थिक रूप से काफी नाजुक स्थिति में हैं।